Blog

शिव जी को प्रसन्न करने के लिए करें सोमवार का व्रत: जानिए सोमवार व्रत के नियम, पूजा विधि, सामग्री और कथा

सप्ताह के सात दिनों में सोमवार के दिन का विशेष महत्व है। सोमवार का दिन सिर्फ सांसारिक कार्यों के लिये महत्वपूर्ण नहीं है बल्कि धार्मिक रूप से भी इस दिन का बहुत अधिक महत्व है। दरअसल यह दिन भगवान भोलेनाथ का दिन माना जाता है। मान्यता है कि सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा करने से उपासक को मनोवांछित फल मिलता है। पौराणिक ग्रंथों में तो सोमवार के महत्व को बताने वाली एक कथा का वर्णन भी किया गया है।

व्रत का संकल्‍प

किसी भी पूजा या व्रत को आरंभ करने के लिए सर्वप्रथम संकल्प करना चाहिए। व्रत के पहले दिन संकल्प किया जाता है। उसके बाद आप नियमित पूजा और व्रत करें। सबसे पहले हाथ में जल, अक्षत, पान का पत्ता, सुपारी और कुछ सिक्के लेकर शिव मंत्र के साथ संकल्प करें।
ऊं शिवशंकरमीशानं द्वादशार्द्धं त्रिलोचनम्।
उमासहितं देवं शिवं आवाहयाम्यहम्॥

सोमवार व्रत विधि

सोमवार का व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिये किया जाता है। माना जाता है कि लगातार सोलह सोमवार व्रत करने से समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं। विशेषकर अविवाहित लड़कियां अपनी इच्छा का वर पाने के लिये सोलह सोमवार का व्रत रखती हैं। सोमवार का व्रत रखने की विधि इस प्रकार है। पौराणिक ग्रंथो में सोमवार के व्रत की विधि का वर्णन करते हुए बताया गया है कि इस दिन व्यक्ति को प्रात: स्नान कर भगवान शिव को जल चढाना चाहिये और भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा भी करनी चाहिये। पूजा के बाद सोमवार व्रत की कथा को सुनना चाहिये। व्रती को दिन में केवल एक समय ही भोजन करना चाहिये। आम तौर पर सोमवार का व्रत तीसरे पहर तक होता है यानि के शाम तक ही सोमवार का व्रत रखा जाता है। सोमवार का व्रत प्रति सोमवार भी रखा जाता है, सौम्य प्रदोष व्रत और सोलह सोमवार व्रत भी रखे जाते हैं। सोमवार के सभी व्रतों की विधि एक समान ही होती है।

मान्यता है कि चित्रा नक्षत्रयुक्त सोमवार से आरंभ कर सात सोमवार तक व्रत करने पर व्यक्ति को सभी तरह के सुख प्राप्त होते हैं। इसके अलावा सोलह सोमवार का व्रत मनोवांछित वर प्राप्ति के लिये किया जाता है। अविवाहित कन्याओं के लिये यह खास मायने रखता है।

सोमवार व्रत पूजा सामग्री

शिव जी की मूर्ति, भांग, बेलपत्र, जल, धूप, दीप, गंगाजल, धतूरा, इत्र, सफेद चंदन, रोली, अष्टगंध, सफेद वस्त्र, नैवेद्य जिसे आधा सेर गेहूं के आटे को घी में भूनकर गुड़ मिलाकर बना लें।

सोमवार व्रत कथा

हिंदू पौराणिक ग्रंथों में सोमवार व्रत के महत्व का वर्णन कथा के जरिये किया गया है। कथा कुछ इस प्रकार है। बहुत समय पहले की बात है कि किसी नगर में एक साहूकार रहता था। वह बहुत ही धर्मात्मा साहूकार था और भगवान शिव का भक्त भी। हर सोमवार भगवान शिव की उपासना करना और विधिनुसार उपवास रखना उसका नियम था। धन-धान्य से उसका घर भरा हुआ था लेकिन उसे एक बड़ा भारी दुख भी था। वह यह कि उसकी कोई संतान नहीं थी। एक दिन क्या हुआ कि माता-पार्वती उस शिव भक्त साहूकार के बारे भगवान शिव से बोलीं कि यह तो आपका भक्त है, बड़ा धर्मात्मा भी है, दान-पुण्य करता रहता है, इसकी आत्मा भी बिल्कुल पवित्र है फिर आप इसकी मनोकामना को पूर्ण क्यों नहीं करते। तब भगवान शिव बोले, इस संसार में सबको अपने कर्मों का फल भोगना पड़ता है, इसके दुख का कारण इसके पूर्व जन्म में किये गये कुछ पाप हैं। तब मां पार्वती बोली मुझसे अपने इस भक्त की पीड़ा नहीं देखी जाती आप इसे पुत्र प्राप्ति का वरदान दें। अब मां पार्वती की जिद्द के आगे भगवन मजबूर हो गये और साहूकार को पुत्र रत्न की प्राप्ति का वरदान दे दिया लेकिन साथ ही कहा कि यह बालक केवल 12 वर्ष तक ही जीवित रहेगा। अब संयोगवश साहूकार भी ये सब बातें सुन रहा था। उसे न तो भगवान शिव के वरदान पर खुशी हुई और न ही दुख। समय आने पर उसकी संतान हुई लेकिन साहूकार को तो पता था इसकी सांसे कितनी लंबी है। फिर भी साहूकार ने धर्म-कर्म के कार्यों को जारी रखा और थोड़ा बड़ा होने पर लड़के के मामा को बुलाकर उसके साथ काशी शिक्षा पाने के लिये भेज दिया, साहूकार ने उन्हें बहुत सारा धन भी दिया और कहा कि रास्ते में यज्ञ हवन करते हुए जाना और ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा भी देना। साहूकार के कहे अनुसार वे रास्ते में सच्चे मन से यज्ञ हवन करते हुए जा रहे थे कि रास्ते में एक नगर में राजा अपनी कन्या का विवाह करवा रहा था, वहीं जिससे कन्या का विवाह तय हुआ वह एक आंख से काना था और इस बात को राजा से छुपाया गया था, पोल खुलने के डर से लड़के वालों ने मामा भानजे को पकड़ लिया और भानजे को काने दुल्हे के स्थान पर मंडप में बैठा कर शादी करवा दी गई अब लड़के ने मौका पाकर राजकुमारी के दुप्पटे पर सच्चाई लिख दी, जिससे बात राजा तक भी पंहुच गई। उसने अपनी कन्या को न भेजकर बारात को वापस लौटा दिया। उधर मामा भानजा काशी की ओर बढ़ गये। अब लड़के की शिक्षा भी संपन्न हो गई और उसकी आयु भी 12 वर्ष की हो गई। शिक्षा पूरी होने के कारण उन्होंने काशी में एक बड़े यज्ञ का आयोजन किया लेकिन लड़के की तबीयत खराब हो गई तो उसे मामा ने आराम करने के लिये भेज दिया। चूंकि उसका समय पूरा हो चुका था इसलिये लेटते ही लड़के की मृत्यु हो गई। भानजे को मृत देख मामा की हालत खराब वह विलाप करने लगा। संयोगवश भगवान शिव और मां पार्वती वहीं से गुजर रहे थे। इस रूदन को देखकर मां पार्वती से रहा नहीं गया और भगवान शिव से अनुरोध किया कि इसके दुख को दूर करें। जब दुख का कारण भगवान शिव ने देखा तो कहा कि यह तो उसी साहूकार का लड़का है जिसे मैनें ही 12 वर्ष की आयु का वरदान दिया था अब तो इसका समय पूरा हो गया है। तब मां पार्वती जिद्द पर अड़ गईं कि इसके माता पिता को जब यह खबर प्राप्त होगी तो वे बिल्कुल भी सहन नहीं कर पायेंगें, अत: आप इस लड़के को जीवन दान दें। तब भगवान शिव ने लड़के को जीवित कर दिया।

अब लड़के के मामा की खुशी का ठिकाना न रहा, शिक्षा पूर्ण हो चुकी थी इसलिये वे अपने नगर लौटने लगे तो रास्ते में जिस नगर में उसका विवाह हुआ था वह राजा यज्ञ करवा रहा था वे भी उसमें शामिल राजा ने लड़के को पहचान लिया और अपनी पुत्री को उसके साथ भेज दिया। उधर साहूकार और उसकी पत्नी अन्न जल छोड़ चुके थे और संकल्प कर चुके थे कि यदि उन्हें पुत्र की मृत्यु का समाचार मिला तो वे जीवित नहीं रहेंगें। उसी रात सपने साहूकार को भगवान शिव ने दर्शन दिये और कहा कि हे भक्त तुम्हारी श्रद्धा व भक्ति को देखकर, सोमवार का व्रत रखने व कथा करने से मैं प्रसन्न हूं और तुम्हारे पुत्र को दीर्घायु का वरदान देता हूं।

अगले ही दिन पुत्र को देखकर खुशी के मारे उनकी आंखे झलक आयी और साहूकार ने भगवान शिव व माता पार्वती को नमन किया।

कुल मिलाकर कथा से सबक मिलता है कि व्यक्ति को कभी भी धर्म के मार्ग से नहीं हटना चाहिये, क्योंकि भगवान भक्त की परीक्षा लेते रहते हैं। सोमवार का व्रत करने व कथा सुनने पढ़ने से व्रती की मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं।

धन की कामना के लिए भी भगवान शिव के प्रिय फूल बताए गए हैं। कहते हैं कि धन चाहिए तो शिव को कमल, शंख पुष्पी या बेल पत्र चढ़ाएं। ऐसी मान्यता है कि शिव जी को सफेद फूल बहुत ही प्रिय है, इसकी खुशबू से वह प्रसन्न हो जाते है।

Shop Now :- https://prabhushriram.com/product/lord-shiva/

author-avatar

About Prabhu Shriram-Incense With A Story

Welcome to the enchanting realm of Prabhu Shriram – Incense With A Story, where fragrances weave tales of rich Indian art, culture, and traditions. Our brand is dedicated to the creation of a unique range of incense sticks and related products, combining captivating aromas with revolutionary packaging. Crafted from a harmonious blend of Ayurvedic herbs and nature-inspired fragrances, Prabhu Shriram – Incense With A Story, stands out as the fastest-growing company in its niche. With a widespread presence across India and a burgeoning footprint in the international market, our brand embraces both online and offline avenues, including websites, general trade, modern trade, export, and institutional sales.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *