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भारत एक ऐसा देश है जो अपनी विविध सांस्कृतिक विरासत और उत्सवों के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। यहाँ, हर एक त्योहार बड़े अनोखे तरीके से मनाया जिसके कारण दुनिया भर से लोग यहां त्योहारों को देखने आते हैं। इन्हीं अनोखे त्योहारों में से एक त्योहार है “छठ पूजा“। छठ पूजा एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे उत्तर भारत के कई राज्यों में विशेष रूप से मनाया जाता है। इस ब्लॉग से आप जानेंगे छठ पूजा का महत्व, उसके तौर तरीके एवं पूजा की विधी और सामग्री।
- छठ पूजा कब है:
छठ पूजा हर साल शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है। यह पूजा चैत्र मास (मार्च-अप्रैल) और कार्तिक मास (अक्टूबर-नवम्बर) के बीच दो बार मनाई जाती है। पहली बार छठ पूजा चैत्र मास में छठ तिथि को मनाई जाती है, जिसे “छठ छई” कहा जाता है। दूसरी बार यह पूजा कार्तिक मास में कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाई जाती है, जिसे “खराग छठ” कहा जाता है। इन दोनों अवसरों पर, लोग सूर्यकुंड (पूर्व) या कोषी नदी (पश्चिम) के किनारे जाकर छठ पूजा करते हैं।
- छठ पूजा क्यों मनाई जाती है:
छठ पूजा का महत्व पौराणिक समय से चला आ रहा है, जिसमें सूर्यदेव की पूजा कर उन्हें अर्घ्य दिया जाता है। सूर्यदेव की प्रसन्नता प्राप्त करना और उनकी शक्ति और सौभाग्य की वृद्धि की आशा होती है। छठ पूजा के दौरान, माँ छठी महागौरी और सूर्यदेव का व्रत रखा जाता है, जिसमें व्रती निर्जल सूर्यदेव का पूजन करती है ।
- छठ पूजा सामग्री:
छठ पूजा के लिए विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है जो इस उत्सव को पूर्ण बनाती है। यहाँ हम छठ पूजा के सामग्री की एक सूची प्रस्तुत कर रहे हैं:
- पूरे परिवार को नए कपड़े पहनने चाहिए, खासकर व्रत करने वाले व्यक्ति को।
- छठ पूजा अर्थात दउरी में प्रसाद रखने के लिए बांस की दो बड़ी टोकरियाँ।
- सूर्य को अर्घ्य देने के लिए बांस या पीतल से बने बर्तन का उपयोग करना चाहिए।
- दूध और गंगाजल के अर्घ्य के लिए एक गिलास, लोटा और थाली सेट होना चाहिए।
- नारियल जिस्में जल भरा हुआ हो
- पाँच पत्तेदार गन्ने के तने
- चावल
- बारह दीपक या दीये
- रोशनी, कुमकुम और अगरबत्ती
- सिन्दूर
- एक केले का पत्ता
- केला, सेब, सिंघाड़ा, हल्दी, मूली और अदरक के पौधे, शकरकंद और सुथनी (रतालू प्रजाति)
- सुपारी
- शहद और मिठाई
- गुड़ (छठी मैया को प्रसाद बनाने के लिए चीनी की जगह गुड़ का उपयोग किया जाता है)
- गेहूं और चावल का आटा
- गंगाजल और दूध
- ठेकुआ
छठ पूजा के दौरान, व्रती एक बांस की टोकरी में छठी महागौरी की मूर्ति ऱखकर उनकी पूजा करती हैं। इस त्यौहार में ख़ासतौर पर चावल, दलिया, चना, गुड़, और दूध का उपयोग किया जाता है। इन सामग्रियों से वे व्रत के दौरान भोजन बनाते हैं। छठ पूजा के दौरान घर को सजाने के लिए खास रूप से फूल, दीपक, और रंगों का उपयोग किया जाता है। घर को सजाने का उद्देश्य पूजा का माहौल बनाना होता है। छठ पूजा के दौरान, व्रती को भोजन बनाने और सूर्यदेव का पूजन करने के लिए बर्तन और छलना की आवश्यकता होती है। छठ पूजा के दौरान, व्रती विशेष रूप से लकड़ी का उपयोग करती हैं जिनसे वे सूर्यदेव के पूजन के लिए झूला बनाती हैं। छठ पूजा के इन सामग्रियों का सवाल समय के साथ बदलता है, लेकिन इनका महत्व हमेशा बरकरार रहता है। यह पूजा न केवल एक धार्मिक अद्वितीयता है, बल्कि एक सांस्कृतिक और सामाजिक अद्वितीयता भी है जो हमारे समृद्ध और भारतीय संस्कृति का हिस्सा है।
छठ पूजा विधि:
- दिन 1: नहाय खाय (छठ पूजा शुरू)
पहले दिन, भक्त उषा काल के पहले सूर्योदय से पहले, नदी या जलस्रोत में स्नान करते हैं। स्नान के बाद, वे घर लौटकर खुद के लिए एक विशेष भोजन तैयार करते हैं, जिसमें चावल, दाल (लेंटिल्स), और कद्दू शामिल होते हैं। इस भोजन को सूर्य देव को चढ़ाया जाता है, और भक्त दिन भर उपवास करते हैं।
- दिन 2: लोहंडा और खरना (बिना पानी के व्रत)
दूसरे दिन, भक्त निर्जल उपवास करते हैं। शाम को, वे थेकुआ (गेहूं के आटे और गुड़ से बनी मिठाई) का प्रसाद तैयार करते हैं। सूर्यास्त होने से पहले, वे इस प्रसाद को खाकर उनका उपवास तोड़ते हैं।
- दिन 3: संध्या अर्घ्य (सूर्य देव को शाम का अर्घ्य)
भक्त अपनी संध्या की अर्घ्य क्रिया सूर्यास्त के समय करते हैं। वे कमर तक पानी में खड़े होते हैं और फल, थेकुआ, गन्ना, और नारियल का अर्घ्य सूर्य देव को देते हैं।यह आमतौर पर नदी के किनारे, तालाबों, या अन्य जल स्रोतों के किनारे किया जाता है।
- दिन 4: उषा अर्घ्य (सूर्य भगवान को सुबह का अर्घ्य)
छठ पूजा के आखिरी दिन पर, भक्त सुबह जल्दी उठकर सूर्योदय के समय नदी किनारे जाते हैं। वे सूर्योदय के साथ अर्घ्य (पानी के साथ पूजा) करते हैं, साथ में फल और थेकुआ के साथ उपवास तोड़ते हैं और च्हठ पूजा समाप्त करते हैं ।
- प्रसाद ग्रहण करना:
पूजा करने के बाद, भक्त प्रसाद को अपने परिवार और दोस्तों के साथ साझा करते हैं। प्रसाद को पड़ोसियों और रिश्तेदारों के बीच बाँटना शुभ माना जाता है।
- छठ कथा:
पूजा के दौरान, भक्त अक्सर छठ कथा पढ़ते हैं, जिसमें छठ मैया (सूर्य देव की पुत्री उषा) और उनकी तपस्या की कहानी सुनाई जाती है। भारतीय परंपराओं और समृद्ध विरासत के गौरव का जश्न मनाते हुए, प्रभु श्रीराम- इन्सेंस विद अ स्टोरी अनूठी सुगंध तैयार करते हैं। आइए और उन सुगंधों का अनुभव करें जो भारत की कहानियाँ बयान करती हैं।